इन वादियों में ये खुशबू सी क्या है? ये पीले रंग के सरसों, क्यों हवायो से अटखेल में है , क्या है ये मेरे मनआगन की खुशियों की पालकी ... जो चाहती है की सब खुश रहें ........
मेरे पन्नो पे ये सियाही सी गोधुली ने सजा दी हैं , लगता है आज फिर आसमान से परिंदों ने , कुछ आफसाने रिश्तों के , मेरे छत पे गिरा दिए हैं
जब प्यार के रंग बिखारातें हैं लोग , जब इन्सान ही इन्सान से मिलता हैं , और जब ,जब किसी मजबुर का भला होता हैं,,, तब ही नजर आतें हैं भगवान.