Tuesday, July 17, 2012


ये जो बे -नाम सा है ..... 


दिल  ये कहता है की
 टूटकर तुम्हें  प्यार करू ..
हया की बदली बरस जाएँ ..
प्यार का सावन..
अब  बाँहों में झूल जाएँ ।


सजाकर मेंहदी अपने हाथों में ,
लाल रंग भर के तुम्हारी  आखों में ..
आपना चेहरा सवारूँ ........
दिल ये कहता है की 
टूटकर तुम्हें प्यार करू 


वो नक्स सा  जो बन जाता है ...
रातों को टहनियों की बीच झाक्तें चाँद पर ..
फिर सुबह तलक चलती है ..
चाँद और मेरी मेजबानी ,
मांझी मेरे कावेरी मन के  ...
दिल ये कहता है की ....


कभी तो राजे दिल बीछ   जाता 
छुप छुप कर ...
तेरे मन के घरौंदे में  
इन पल्कों के  शिरकत से ,
कभी तुम सज जाते ...
बनकर फूल पलाश के 
मेरे रोहणि मन में ,,


न मैं जता  पाती हु ,
न तुम ही कह पातें हो ,

बुला ही लेता है ..
गुलमोहर दिल तुम्हारा .
हर रोज मुझे ...
नीन्द्नीशा  सिरहाने  में
 ये कौन सा बंधन  है   ..
जिस में तुम मुझे बाँधें जातें हो .... ??
दिल ये कहता है की 
टूटकर तुम्हें प्यार करू ....




क्यूँ मुड़ जाती हैं 
राहें मेरी 
तेरे बनबेली आँगन में 


ना नाम है ,ना इंतजार का इंतजार .
 पांकिजा से इस प्यार में ..
बस एक अहसाह की नमीं  सी है ...
 जो मेरे मनं में घुलता है अमरलता बनकर ।


दिल ये कहता है की 
टूटकर तुम्हें प्यार करू 


हया की बदली बरस जाएँ ..
प्यार का सावन..
अब  बाँहों में झूल जाएँ ।



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Monday, March 5, 2012


इन  वादियों में ये खुशबू सी क्या है?
ये पीले रंग के सरसों, क्यों हवायो से  अटखेल में है ,
क्या है ये मेरे मनआगन की खुशियों की पालकी ...
जो चाहती है की सब खुश रहें ........

मेरे पन्नो पे ये सियाही सी गोधुली ने सजा दी हैं ,
लगता है आज फिर आसमान से परिंदों ने , 
कुछ आफसाने रिश्तों के , मेरे छत पे गिरा दिए हैं  

जब प्यार के रंग बिखारातें हैं लोग ,
जब इन्सान ही इन्सान से मिलता हैं ,
और जब ,जब किसी मजबुर का भला होता हैं,,,
तब ही नजर आतें हैं भगवान.   

Wednesday, February 8, 2012

हुई शाम तो ये जाना हमने
तन्हाईयों  की कुछ और अमोली सज गई हमारे दरिचें में 
अब देखे सुबह की बेल  इनअमोलियों को  पका सकी तो ठीक है
नही तो जी लेगे हम जैसे जिए जाते हैं