उड़ उड़ के मेरे पंछी मन तू क्या खोजता है,
हर तरफ शोर है ,किन सुकूनी संतों की तुझे तलाश है,
वो जो भाव हुआ करते थे गोधुलि की बेला में ,
उसे तो शहरीकरण रूपी दानव ने अपना आहार बना लिया है।वो जो भाव उभरते थे धरती और अम्बर के मिलन से,वो जो घोसोलों से मीठी धुन भोर का मुख निहारती थी,"ऐ मेरे बवाले पंछी मन"
अब तो सुकून भरी पलकों से भी दूर भागते हैं लोग ,
नींद आये या न आये-
कुछ तो थोरी सी मदिरा पीकर सो जाते हैं
और कुछ सोने की कोशिश में सुबह तलक झप्की भरते हैं
जाने किस मृग तृष्णा की खोज में सब दौर रहे हैं ?
कौन समझेगा किसने समझा है ...
देह रूपी दुकान का सांसे पतवार हैं,
कब मिट्टी हो जाएँ क्या ऐतबार है।।
क्यों है फैला बेरुखी का आलम ,
क्यों है रिश्तों में टूटी पगडंडी सी हालत ,क्यों मन में बोझ लिए जीयें जा रहे हैं लोग ,थोड़ी तो नमी से खुद को नवाजों फकीरों ....है ये दुनिया बड़ी निराली ........पहले खुद में निरालापन , तो लायों फकीरों ।
वो जो आँखों से आँखें इश्क की हर बात बयाँ करती थी,
उफ वो नशेमन "
वो शानो पर बीती फुरकतों में रातें ........
अब तो पहली नजर से पहले ,, काया से काया मिला करती हैं
जाने ये कौन हैं , ये किसकी दास्तां हैं ???
कैसे इनको तू - पंछी मन इनकी पहचान से मिलवायेगा
क्या फिर से धरती पर राधारमण आलिंगन रास रचाय्रेगें ।
वो जो पत्तों पर ओस की चमक है ,
वो जो बारिश में धूलि फूलों में रंगत है
वो जो प्यार में पिघलती पत्थरों की पनघट है
वो जो दूर से लचकती अमोलियों की कमर है
ये जो चूड़ियों की खनक में महकती कशक है
ये जो लोरियों में निखरती बचपन से जवानी का सफ़र है
ये जो पथराई आँखों को सूद से मूल स्वरित है
ये जो माहवार से सजे पाँव पर झुका पुरुषसार्थ का अहम हैं
ये जो स्वार्थहीन दोस्ती का छलकता सागर है
सुनो ऐ फकीरों ये सब तुम्हारी ही विरासतें हैं
यही है वो दौलत बासिंदों ,
जिन से इक इक बूंद जिन्दगी की सागर बना करती है
तो अब चुन लो मोतियाँ विरासतों से ,
और बाटो दोनों हाथों से ये विरासती मोतियाँ पुरे जहाँ में
जितना बाटोगे उस से दुगना पायोगे फकीरों ............
हर कण हर पल बस होगा लचीला ,लचीला
और उमरती घुमारती रहेगी
तेरे पंछी मन में जवां जिन्दगी की बदलियाँ ...।।
अब तो मेरे पंछी मन मेरे पास लौट आओ
अब तो मेरे पंछी मन मेरे पास लौट आओ
ReplyDeleteसच..... जिस नैसर्गिक मनोभाव के साथ आपने अपने जज्बातों को एक
जगह पिरोया है... वो काबिलेतारीफ है......
मै सचमुच में फिर से हैरत में हूँ......
aapki tariph v ek alag bhao deti hain shukriya
ReplyDelete