Monday, March 5, 2012


मेरे पन्नो पे ये सियाही सी गोधुली ने सजा दी हैं ,
लगता है आज फिर आसमान से परिंदों ने , 
कुछ आफसाने रिश्तों के , मेरे छत पे गिरा दिए हैं  

1 comment:

  1. वो जहाँ भी जायेंगे

    अपना सब कुछ लुटा कर आयेंगे ...

    किसी परिंदे का अपना कोई

    आशियाना नहीं होता...



    बहुत गहरी सोच आपकी

    . राहुल

    ReplyDelete