Wednesday, February 8, 2012

हुई शाम तो ये जाना हमने
तन्हाईयों  की कुछ और अमोली सज गई हमारे दरिचें में 
अब देखे सुबह की बेल  इनअमोलियों को  पका सकी तो ठीक है
नही तो जी लेगे हम जैसे जिए जाते हैं 

1 comment:

  1. शाम सी आँखों में एक नमी सी है...

    खूबसूरत शब्द....

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